बदले में सबको समझाता।।
गौर से सुनना मेरी बात को।
सीखना और समझाना औरों को।।
प्रकृति की धरोहर यूँ न नष्ट करो।
पेड़ो को काटना अब बंद करो।।
ये पेड़ - पौधें है दोस्त हमारे।
जीवन चलता है इनके सहारे।।
पेड़ो से मिलती है हरियाली।
वातावरण में फैलाते ये खुशहाली।।
सर पे अपने धूप झेलते।
बदले में छाया हमें देते।।
जहरीली गैस भी ये पी जाते।
बदले में शुद्ध ऑक्सीजन लौटाते।।
वर्षा देते हैं ये आजीवन।
इन्हीं पर निर्भर हमारा जीवन।।
बात सभी को ये समझाओ।
प्रकृति की धरोहर को अब बचाओ।।
आज से ही ये कसम खाओ।
हर "वानिकी दिवस" पर पेड़ लगाओ।।
© यशवर्धन श्रीवास्तव
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