प्रकृति की गोद में,
खिलखिलाती ये धूप।
प्रकृति की गोद में,
कैसा ये रूप।।
प्रकृति की गोद में,
नदियों में बहता पानी।
प्रकृति की गोद में,
फिर उड़ती ये आंधी।।
प्रकृति की गोद में,
चलती ये हवाएँ।
प्रकृति की गोद में,
सूरज भी ये गुर्राये।।
प्रकृति की गोद में,
कहती ये हरियाली।
प्रकृति की गोद में,
क्या मौसम, क्या पानी।।
प्रकृति प्रेमी लग रहे हैं आप तो..अच्छा है।
जवाब देंहटाएंसेटिंग में जाकर वर्डवैरीफिकेशन का विकल्प हटा दें। कमेंट करने वाला घबड़ाकर भाग जाता है।
बहुत ही सुंदर रचना .....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करें कैग आप भी जाने अफ़रोज़ ,कसाब-कॉंग्रेस के गले की फांस
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना !!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर भावभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा और भावपूर्ण रचना |
जवाब देंहटाएंशुक्रिया।
हटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंreally gud....excellent :)
जवाब देंहटाएंawsome poem...
जवाब देंहटाएंnice poem........
जवाब देंहटाएंwow! very nice. no words to explain.
जवाब देंहटाएंvery nice poem
जवाब देंहटाएंvery nice poem
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रकृति प्रेम पर रचना -
जवाब देंहटाएंप्रकृति हमें जीवन जीने की कला सिखाती|
हमें प्रकृति अपने आंगन में सदा बिठाती |
अम्बर ऊपर भूतल नीचे फिर जल वर्षाती |
सत्ययुग से कलयुग तक वह सफर चलाती |
ऋषि मुनि से भाँती - भाँती संसार बसाती|
निर्मल जल गगन बिच मयंक धरा सजाती ||
Bhut hi sundar rachna h
हटाएंKhushi Pandit Ji हार्दिक आभार ,सुंदर आपके विचार
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जवाब देंहटाएंits really very nice poem
जवाब देंहटाएंवाह!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
Awesome creation
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंGood achha hai
जवाब देंहटाएंअद्भुत
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