शनिवार, 9 फ़रवरी 2013

प्रकृति की गोद में .....



प्रकृति की गोद में,
खिलखिलाती ये धूप।
प्रकृति की गोद में,
कैसा ये रूप।।

प्रकृति की गोद में,
नदियों में बहता पानी।
प्रकृति की गोद में,
फिर उड़ती ये आंधी।।

प्रकृति की गोद में,
चलती ये हवाएँ।
प्रकृति की गोद में,
सूरज भी ये गुर्राये।।

प्रकृति की गोद में,
कहती ये हरियाली।
प्रकृति की गोद में,
क्या मौसम, क्या पानी।।

24 टिप्‍पणियां:

  1. प्रकृति प्रेमी लग रहे हैं आप तो..अच्छा है।

    सेटिंग में जाकर वर्डवैरीफिकेशन का विकल्प हटा दें। कमेंट करने वाला घबड़ाकर भाग जाता है।

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  2. बहुत ही सुंदर भावभिव्यक्ति...

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  3. बेहद उम्दा और भावपूर्ण रचना |

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    1. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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  4. बहुत सुन्दर प्रकृति प्रेम पर रचना -
    प्रकृति हमें जीवन जीने की कला सिखाती|
    हमें प्रकृति अपने आंगन में सदा बिठाती |
    अम्बर ऊपर भूतल नीचे फिर जल वर्षाती |
    सत्ययुग से कलयुग तक वह सफर चलाती |
    ऋषि मुनि से भाँती - भाँती संसार बसाती|
    निर्मल जल गगन बिच मयंक धरा सजाती ||

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  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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