रविवार, 7 जुलाई 2013

फूल खिले है डाली - डाली

चित्र साभार : yashvardhan09.blogspot.in
फूल खिले है डाली - डाली ।
रुत है ये मतवाली ।।
ये भी कहते कुछ गाकर ।
हँसते - रोते मुस्कुराकर ।।

कहते ये होकर दुखी ।
हमे मत तोड़ो कभी ।।
मत लो हमारे प्राण ।
आखिर हम में भी है जान।।



8 टिप्‍पणियां:

  1. सच है फूलों में भी जान है .. और ये डाली पर ही अच्छे लगते हैं ...

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  2. आपकी इस प्रस्तुति की चर्चा कल सोमवार [08.07.2013]
    चर्चामंच 1300 पर
    कृपया पधार कर अनुग्रहित करें
    सादर
    सरिता भाटिया

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  3. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन अमर शहीद कैप्टन विक्रम 'शेरशाह' बत्रा को सलाम - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  4. भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने..

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  5. सुन लो सब इन मासूम फूलों का कहना......

    अनु

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  6. अत्यंत सुन्दर कविता | फूलों को या फिर कोई वनस्पति ही क्यों न हो उसे कभी तोडना नहीं चाहियें | बहुत गहन सन्देश | आभार !

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  7. बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत बधाई आपको .

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  8. बहुत सुन्दर कविता ! प्रकृति का मनोहारी चित्रण .

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