सोमवार, 17 जून 2013

देखो काले बादल आये ....


देखो काले बादल आये ।
नभ पर ये जमकर छाये ।।
गरजकर , ये बिजली कड़काते ।
संग में ये अपने वर्षा भी लाते ।।

देखो काले बादल आये ।
गर्मी को ये दूर भगाए ।।
मौसम को भी खुशहाल ।
खेतों में हरियाली फैलायें ।।

देखो काले बादल आये ।
बंजर को भी उपजाऊ बनाते ।।
कहीं - कहीं पर ये बाढ़ भी लाते ।
परन्तु अकाल को दूर भगाते ।।

देखो काले बादल आये ।
प्रकृति को भी ये भाये ।।
इस धरती को भी नहलाये ।
देखो काले बादल आये ।।



10 टिप्‍पणियां:

  1. अब तो कहर बरपा रहे हैं ये काले बादल ...
    अच्छी रचना है ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी सही कहा आपने फ़िलहाल बादल तो कहर बरपा ही रहें हैं , आभार

      हटाएं
  2. सुन्दर रचना !
    "बादल उस ओर गये "
    बूँद बूँद को तरस रहे हम
    बादल उस ओर गये|
    आम के पेड़ वहीं फिर
    भी बादल उस ओर गये|
    सपनों के खरगोश हैं भूखे
    बादल उस ओर गये|
    घास डालता कौन इन्हें जब
    बादल उस ओर गये|
    सूखे दिनों की आशंका ले
    बादल उस ओर गये|
    मेघों की घनघोर छ्टा पर
    बादल उस ओर गये||

    जवाब देंहटाएं