इसकी कदर ना जानी
उसको सिर्फ ये बात बतानी
कविता समझो या कहानी
मुझे तो बस अपनी बात समझानी पानी
यह सिर्फ शब्द नहीं
है
इसकी कीमत बहुत बड़ी
कभी इसके बिना भी
दो दिन रहे हो
अगर रहे हो
तो
बता देना
शायद तुमको
इसकी कीमत
ज्यादा पता हो
पर मै एक बार हुआ था
इसकी प्यास का मारा
तपती धूप में
पानी के लिए
भटक रहा था जो बेचारा
बस मुख पर एक ही शब्द था
दुरो दूरो तक अपना न कोई शख्स था
बस मुख पर मेरे यही एक शब्द था
"पानी"
उस दिन
जो मुझे याद आयी थी "नानी"
उस दिन इस शब्द की कदर है
मैंने जानी
पानी को बचाने की
बस
तब ही से मैंने ठानी।।