पहले उड़ती - फिरती थी,
ये हर डाली - डाली।
कौन - थी ये चिड़िया प्यारी ?
क्या नाम है इसका,
जरा - पूछो भईया ?
अरे ये चिड़िया है - गौरैया।।
पहले दिखती थी ये,
हर - घर आँगन में।
परन्तु अब है ये,
पक्षी संकट में।।
इसे बचाने के लिए,
करना पड़ेगा कोई उपाय।
ताकि ये चिड़िया,
इस धरती पर बच पाएँ।।
थोड़ा - सा दाना और थोड़ा - सा पानी,
अगर इसे मिल पाएँ।
तो इसकी प्रजाति,
इस धरती पर बढ़ जाएँ।।
यदि नहीं किया अभी ऐसा,
तो आने वाले वक्त में।
कभी ये खबर आयें,
एक छोटी - सी चिड़िया थी न्यारी।
नाम था जिसका गौरैया प्यारी।।
© यशवर्धन श्रीवास्तव
आपकी इस प्रस्तुति को आज कि बुलेटिन विश्व वानिकी दिवस, खुशवंत सिंह और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंसुन्दर और भावपूर्ण रचना |
जवाब देंहटाएंअच्छी
जवाब देंहटाएंवाह खूब !
जवाब देंहटाएंप्यारी तेरी बोली इतनी
मेरा मन भरमाती है |
तुझमें ही खो जाऊं मैं
चुपके से कह जाती है |
Very nice poem thanks for sharing
जवाब देंहटाएंThanks
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना है,
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