बसन्त का महीना आया।।
तेज हवा चली रूहानी,
खिली धूप सुहानी।।
बगिया में आई तितली रानी,
भौरों कि भी अलग कहानी।।
फूल खिले हर डाली-डाली,
रूत भी है ये सुहानी।।
कूँ - कूँ करती कोयल रानी,
देखो आई बसन्त निराली।।
प्रकृति की ये अलग कहानी,
देखो आई ऋतुराज बसन्त निराली।।
© यशवर्धन श्रीवास्तव
सुंदर बसंत !!
जवाब देंहटाएंमाँ शारदे की असीम अनुकंपा बनी रहे ........
basant utsav ki shubhkamnaye
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना.. बसंत पंचमी कि बधाई /
जवाब देंहटाएंमेरे भी ब्लॉग पर आये
आपकी इस प्रस्तुति को आज की बसन्त पंचमी, विश्व कैंसर दिवस, फेसबुक के 10 साल और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंधूम मचाता आया ऋतुराज बसंत !
जवाब देंहटाएंबहुत शुभकामनाएं !
आप सभी का बहुत - बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंफागुनी पुन्नी परी आई है सात रंगों की पहनी सारी है ।
जवाब देंहटाएंमन की रानी यही है फागुन में बुध्दि बॉदी बनी बिचारी है।
अरे आप तो यशवर्धन हैं मैं आपको हर्षवर्धन समझ रही थी ।
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